खानपान में जरुरी है संयम

खानपान में जरुरी है संयम

शुद्ध सात्विक और स्वास्थ्यप्रद भोजन करने से न सिर्फ शारीरिक विकास सही रहता है, बल्कि हमारी सोच भी इससे प्रभावित होती है ।

संयमित जीवन के लिए स्वस्थ आहार यानी खानपान की आवश्यकता होती है । कहते हैं, जैसा खाओगे,वैसा ही सोचोगे । भोजन यदि जीवन रक्षा के लिए किया जाए, तो वह आनंदप्रद होता है, अन्यथा उसके द्वारा अधिक से अधिक जितनी हानि हो सकती है, होती है । वास्तव में हमें जीने के लिए खाना चाहिए, ना कि खाने के लिए जीना । जो लोग खाने के लिए ही जीते हैं, वे अधम श्रेणी के मनुष्य हैं । जीवन रक्षा के लिए जो भोजन करते हैं, वास्तव में वे ही भोजन के वास्तविक उपयोग को जानते हैं ।

क्षुदा को शांत करने के लिए भूख भर ही भोजन किया जाता है, वही वास्तविक आनंदप्रद होता है । आवश्यकता से यदि एक कौर भी अधिक भोजन कर लिया जाए, तो वह एक ग्राम ही भोजन करने वाले के पतन का कारण होता है । इससे कई बीमारियां होती हैं । भूख से अधिक भोजन शरीर के लिए हानिकारक होता है, आत्मा के लिए भी हानिकारक होता है ।

भूख से बहुत कम खाना त्याग का गलत आदर्श है, उसी प्रकार अधिक भोजन करना भी बहुत ही बड़ी भूल है । अतः हमें केवल शुद्ध, सात्विक और स्वास्थ्यप्रद भोजन करना चाहिए । यही भोजन हमें साधना पथ पर आरूढ़ करा सकेगा ।

खान-पान में संयम पालने के नियम:-

 

(1) भूख लगने पर ही भोजन करने बैठे । इसके पूर्व किसी भी दशा में नहीं ।

(2) कभी भी जल्दी और अधीर होकर भोजन नहीं करना चाहिए । धीरे-धीरे और खूब चबाकर भोजन करना चाहिए । इससे भोजन शीघ्र पचता है ।

(3) जल्दी जल्दी भोजन करना असभ्यता की निशानी है । ऐसे में आदमी भूख से ज्यादा भी खा लेता है ।

(4) जो भोजन सामने आए, उसमें मीन मेख मत निकालो । जो रुखा-सुखा मिले, उसे भगवान के चरणों में निवेदित कर प्रभु का प्रसाद समझकर आनंदपूर्वक भोजन ग्रहण करें ।

(5) भूख से अधिक तो एक कौर भी मत खाओ । चाहे जितनी अच्छी-अच्छी भोजन की वस्तुएं सामने रखी हो, किंतु आवश्यकता से अधिक कभी मत खाओ ।

(6) स्वादिष्ट समझकर किसी भी वस्तु की और नेत्रों को चंचल मत करो । स्मरण रहे, नेत्रों की चपलता और स्वाद की आकांक्षा सेहत को प्रभावित करती है ।

(7) जहां तक हो सके, दवाओं से बचो । दुष्ट मित्रों की संगति तो सर्वथा ही त्याग दो । जहां पर प्रलोभन तथा आकर्षक वस्तुए अधिक होती हैं, वहीं पर पतन की अधिक संभावना होती है ।

(8) मांस-मदिरा, गांजा, अफीम, तंबाकू आदि किसी भी उत्तेजक पदार्थ का भूल कर भी सेवन ना करें । इससे शरीरिक स्वास्थ्य तो चौपट होता ही है साथ-ही-साथ घोर आत्मिक पतन भी होता है ।

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